पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण शब्द 'परी' + 'आवरण ' से मिलकर बना है। इसका अर्थ है हमारी चारों ओर का प्राकृतिक आवरण। जो कुछ भी हमारे चरों ओर है, हम उसे पर्यावरण कह सकते हैं। प्रकृति ने मानव की सुरक्षा के लिए एक सुंदर आवरण बनाया है। मानव ने अपने स्वार्थ में एक ओर तो प्रकृति की सुविधाओं का अंधाधुंध प्रयोग किया है और दूसरी ओर प्रगति के नाम पर शोर, धुआँ, आदि वायु में भर दी है। यहीं तक नहीं नदियों के जल को भी ज़हरीला बना दिया है। पर्यावरण प्रदूषण हमें अनेक रुपों में दिखाई देता है, जैसे- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। हर प्रकार का प्रदूषण हमारे लिए हानिकारक है और किसी न किसी रुप में रोगों में वृद्धि करता है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से वायु में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें बढ़ती जा रही हैं। वाहनों तथा कारखानों के धुएँ से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। कारखानों का कचरा नदियों को प्रदूषित कर देता है। सभ्यता और विकास के नाम पर हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हमें इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। वृक्ष लगाकर और उनका संरक्षण करके हम पर्यावरण प्रदूषण को रोक सकते हैं। ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना होगा। हमें पानी में गंद नहीं फैंकना चाहिए। ऐसा करके हम पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त कर सकते हैं।
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