रेल दुर्घटना

भारत में लगभग हर तीन दिन में एक रेल दुर्घटना घटती है। जिनके पीछे अनेकों कारण होते है, पर जनता तो बहुत व्यस्त रहती है, मामले की तह तक जाने का तो समय ही नहीं है किसी के पास। जनता की नज़रों में तो एक ही दोषी है सरकार। भारत में तो सरकार की ऐसी छवि बना रखी है कि घर में पानी न आए तो सरकार की गलती भले ही नलका हमारा जाम पड़ा हो, इस महीने आमदनी कम हुई तो सरकार की गलती भले ही लाला जी सारा समय  पलंग पर आराम से पढ़े हो। रेल दुर्घटना के पीछे छिपे कई कारण है जिन्हें हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं और फिर होता क्या है एक और रेल दुर्घटना। किसी एक व्यक्ति की गलती से भी रेल दुर्घटना हो सकती हैं जैसे यदि सिगनल देने वाला ही अपनी दुनिया में मगन हो, ट्रेन चालाक लापरवाही दिखाए, कोई गैर ज़िम्मेदार यात्री जयनशील सामन का प्रयोग करे, आदि। जब अनुसन्धान किया गया तो पता चला की 60% रेल दुर्घटना रेलकर्मचारी की लापरवाही के कारण होते हैं। जब यह कर्मचारी ही देश के प्रति अपना कर्त्तव्य नहीं निभाएंगे तो सरकार उन्हें बदलने से ज़्यादा और क्या कर सकती है ! सरकार की सिर्फ इतनी गलती है कि यह जनता को और कर्मचारियों को ज़िम्मेदार समझती है। इतना काबिल समझती है कि वह अपना काम तो निपूर्णता से कर ही सकते हैं। इसीलिए अपना अपना काम कीजिये और सरकार को भी करने दीजिये। सरकार को यह ज़रूर याद रखना चाहिए कि मान बढ़ाई ना करे, बढ़े  ना बोले। हीरा मुख से ना कहे, लाख हमारा मोल। 




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